आर्यवन आर्ष कन्या गुरुकुल (क्रियात्मक योग तथा वैदिक शास्त्रों के अध्ययन-अध्यापन का केन्द्र)

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  • दान से कल्याण की प्राप्ति होती है ।
  • यदङ्ग दाशुषे त्वमग्ने भद्रं करिष्यसि । तवेत्तत्सत्यमङ्गिर: ।। ऋ.१.१.६।।
  • हे मित्र (परमात्मा) ! यह निश्चय ही तेरा सत्य व्रत है कि तू निष्कामभाव से श्रेष्ठ पदार्थों के देने वाले का कल्याण करता है ।
  • जो दूसरों की आवश्यकताओं को निष्कामभाव से पूरा करता है, निश्चय ही ईश्वर भी उसकी आवश्यकताओं को उत्तमता से पूरा करता है ।
  • संस्था को दिये गये दान पर 80 G करमुक्त व्यवस्था उपलब्ध है |

आर्यवन आर्ष कन्या गुरुकुल का परिचय

विश्वप्रसिद्ध आर्यवन विकास फार्म ट्रस्ट के द्वारा अब वैदिक विदुषियों के निर्माणार्थ "आर्यवन आर्ष कन्या गुरुकुल" की स्थापना की जा रही है । लगभग १ एकड़ भूमि पर गुरुकुल के भवन का निर्माण हो रहा है, जो हवा-उजास युक्त छात्रावास, संगणक, दूरभाष, प्रोजेक्टर, इन्टरनेट.. आदि आधुनिक सुविधाओं से युक्त कार्यालय व अध्ययन-कक्ष, वैदिक साहित्य से सम्पन्न पुस्तकालय, रसोईघर, भोजनालयादि से युक्त है । चारदिवारी से घिरे हुए गुरुकुल के सुरक्षित परिसर में छात्राओं के व्यायाम, भ्रमणादि के लिए विशाल मैदान है, जो विविध प्रकार के औषधीय पेड़-पौधों से सज्जित होगा । प्राकृतिक वातावरण के बीच विशाल यज्ञशाला भी है, जिसमें प्रात:-सायं दोनों समय वैदिक मन्त्रों के मधुर उच्चारण व स्वाहाकार की ध्वनि के साथ रोगनाशक व पुष्टिकारक आुर्वैदिक ओषधि तथा देशी गाय के घृत की आहुति से अग्निहोत्र होगा, जो गुरुकुल के परिसर को सात्विक, शुद्ध व सुगन्धयुक्त बनाने में तथा इदन्न मम की भावना से ओतप्रोत करने में समर्थ है । चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, २०७२ वि.सं. तदनु ८ अप्रैल, सन् २०१६ को इस गुरुकुल का शुभारम्भ होगा ।और पढ़ें

१ अप्रैल, सन् २०१६ से छात्राओं का प्रवेश आरम्भ हो जायेगा ।

समग्र गुजरात में केवल आर्ष पाठ्यक्रम से चलने वाला यह प्रथम कन्या गुरुकुल है । इस कन्या गुरुकुल में ट्रस्ट के द्वारा छात्राओं को सब प्रकार की आवश्यक सुविधा तथा सुरक्षा नि:शुल्क उपलब्ध होंगी । ट्रस्ट की गौशाला से प्राप्त गीर की देशी गायों के शुद्ध दूध व घृत से निर्मित सात्विक आहार व सात्विक दिनचर्या के साथ सत्यार्थ-प्रकाश में निर्दिष्ट आर्ष पाठ्यक्रम के अनुसार अध्ययन-अध्यापन इस गुरुकुल की विशेषता होगी । गुरुकुल के पूर्ण कालीन आवासीय इस पाठ्यक्रम में मुख्र्यरूप से पाणिनीय अष्टाध्यायी के क्रम से महाभाष्य पर्यन्त सम्पूर्ण संस्कृत व्याकरण, निरुक्त, छन्दःशास्त्र तथा सांख्य - योग - वैशेषिक - न्याय - मीमांसा - वेदान्त इन छह आर्ष दर्शनों के गम्भीर अध्यापन के साथ साथ वेद, महर्षि स्वामी दयानन्द के ग्रन्थ तथा अन्य वैदिक साहित्यों का स्वाध्याय भी होगा । इसके अतिरिक्त छात्राओं को योगदर्शन में वर्णित क्रियात्मक योग प्रशिक्षण भी सिखाया जायेगा । इस आर्ष-पाठ्यक्रम का गंभीरता से अध्ययन करने वाली प्रत्येक छात्रा अपनी सर्वाङ्गीण आध्यात्मिक उन्नति करने में समर्थ होगी ।

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